एक समय की बात है एक बार वर्षा की संभावना को देखकर गुरु पत्नी शुक्षुषा जी ने कास्ट लाने के लिए किन्हीं दूसरे छात्रों को आदेश दिया की है पुत्र कर्ण कहीं से काष्ठ ले आओ संध्या होने वाली है कैसे बनती लकड़ी लाई जाए यह विचार का कुछ डरे हुए सब छात्रों में मैं से इन दोनों ने भी उस बात को एक दूसरे के द्वारा सुन लिया डरे हुए अन्य विद्यार्थियों को देखते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गुरु पत्नी से स्वयं वन में जाने की आज्ञा मांगी भगवान ने कहा माता अन्य सभी छात्र वन में जाने से डरे हुए हैं तो मैं और मेरा सखा सुदामा वन में जाकर लकड़िया ले आते हैं उस समय महर्षि सांदीपनि जी आश्रम में उपस्थित नहीं थे यह जानकर उन्हें जाने की आज्ञा देने में असमर्थता प्रकट की लेकिन प्रभु कहां मानने वाले थे उन्होंने अपने हट से गुरु पत्नी को मना लिया और 1 में जाने की आज्ञा प्राप्त कर ली गुरु पत्नी ने दोनों के लिए दो मुट्ठी चना रख देता की भूख लगे तो खा लेना भगवान श्री कृष्ण के पास रखने का कुछ सामान नहीं था तो दोनों चने की पोटली को उन्होंने सुदामा को रखने को दे दी और कुल्हाड़ी लेकर वन की ओर प्रस्थान किया
चलते चलते दोनों घनी मन में पहुंच गए जंगल में पहुंचते घनघोर वर्षा होने लगी वर्षा होने के बावजूद दोनों ने सूखी सूखी लकड़ियां चुन ली और घटघर बनाकर दोनों ने अपनी पीठ पर एक के गठन किया लेकिन रात्रि हो जाने के बाद कारण वह आगे की ओर यात्रा ना कर सके और वही एक पेड़ के नीचे दोनों लकड़ी के गठन रख दिए और विश्राम करने लगे बारिश अत्यधिक होने के कारण वे दोनों वृक्ष पर अलग-अलग झड़ गए ताकि वर्षा से उनकी रक्षा हो सके घनघोर वर्षा जो थोड़ी कम पड़े उसके बाद सुदामा जी को भूख लगने लगी तो उन्होंने पत्नी द्वारा दिए हुए चने याद आए फिर उन्होंने अपने हिस्से की पोटली निकाली और उसे खाने लगे खाने के कारण उनकी आवाज में कृष्ण सुदामा से पूछा सुदामा यह तुम्हारे मुंह से कैसी अजीब प्रकार की आवाज आ रही है तुम कुछ खा रहे हो क्या तो सुदामा जी वहां पर झूठ बोल गए नहीं खाना मुझे बहुत ठंड लग रही हो ठंड के कारण मेरे दांत क्रिकेटर रहे कृष्ण भगवान ने अपनी दिव्य दृष्टि से देख लिया था कि वह झूठ बोल रहा है और उसने खुद के हिस्से की बॉडी के चने की शासन मेरे हिस्से की चने की फोटो लिखा गया है भगवान से मीठा बोलने की सजा सुदामा ने घोर दरिद्र पुजारी फिर भगवान द्वारिकाधीश से द्वारका में भेंट हुई तब भगवत कृपा से 2 लोकों के स्वामी बने आज भी अवंतिका पुरी से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम नारायणा स्थित है जहां पर भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी ने रात्रि विश्राम किया था पर आज भी बड़ा सुंदरी मंदिर बनाया हुआ है श्री कृष्ण सुदामा जी की मनोहारी प्रतिमा स्थापित भगवान श्री कृष्ण के लकड़ी के यहां पर छूट गई थी वर्तमान में वृक्ष बन गए आज भी विद्यमान है या गांव श्री कृष्ण सुदामा धाम नारायणा के नाम से प्रसिद्ध है